अंजुमन गुलज़ार है एक खिलखिलाती हँसी से,
और क्या चाहिए दिल को बहलने के लिए।
जाते-जाते छोड़ गयी हो संदली सी ख़ुशबू,
और क्या चाहिए फ़िज़ा को महकने के लिए।
बीते लम्हों की परछाई में भी एक नशा सा है,
और क्या चाहिए दिल को बहकने के लिए।
ख़्वाबों में ही सही हाथों में तेरा हाथ होता है,
और क्या चाहिए मुझको सम्भलने के लिए।
~नवीन
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